संसार के उत्तम कुल में जन्म लेने के पश्चात भी अपनी तुच्छ पाशविक इच्छाओ के लिए लाखों वर्षो से चली आ रही रक्त की पवित्रता को नष्ट करने वाली कुलकुलंका के लिए आज कुछ सैनिक विलाप करते नज़र आ रहे है!!!!!!!!
#Irony
जिस कुल में हजारों शाके व जौहर इसलिए होते थे कि कुल पर कलंक न लगे ,
क्या उस परम्परा के वंशजो का ऐसे नीच लोगो के साथ खड़े होने पर समाज में गलत संदेश नहीं जायेगा ?????
क्या इससे वही पाप दोहराने का प्रोत्साहन समाज के युवाओं को नही मिलेगा????
कुलकलंका के हिमायती क्या अपने परिवार के बच्चों से भी ऐसा ही घिनोना कृत्य किये जाने पर उन्हें अपना लेंगे??
इस तामझाम में समाज व माँ करणी के नाम को घसीटना कितना उचित है??
जिसका आर्थिक हित सधता हो वो जो करना हो करे,
जिनको साथ देना है बेशक देवे पर समाज व माँ करनी के नाम का गलत उपयोग क्यों???
इन राज परिवारो पर जब खुद पर बीतती हे तभी समाज याद आता है !!!
जब समाज आरक्षण, संस्कृति पर खिलवाड़ ,भूस्वामी आंदोलन, फिल्मो में गलत चित्रण, इतिहास से छेड़छाड़ आदि मुद्दों पर आंदोलन कर रहा होता है,
तब ये लोग किले महलो से बाहर आकर समाज के साथ खड़ा रहना तो दूर एक स्टेटमेंट देने तक से घबराते हैं।
ऐसे में जब खुद पर बीतती है, तो समाज से किस अधिकार के तहत उम्मीद करते है कि वो उनके साथ खड़ा हो???
आजादी के वक्त राजपरिवारों ने सीलिंग एक्ट से बचने के लिए अपनी जमीन महल आदि सरकार को समर्पित कर दिए,
तब याद नहीं आया की सैकड़ो वर्षो से हमारे लिए शीश कटाने वाले या सेवा करने वाले राजपूत समाज के गरीबो में ये सम्पतिया जागीरदारी उन्मूलन से पूर्व ही दे दी जाए??????
यहाँ तक की यदि समाज के सामूहिक उपयोग हेतु भी कोई भवन या जगह इन लोगो ने नहीं दी!!
कैसे रजवाड़े???किसके रजवाड़े???
कौन सी सेना???
गरीबो की या अमीरो की??
या दलालों की??
जय करणी माता,
शुभरात्रि.....
#Irony
जिस कुल में हजारों शाके व जौहर इसलिए होते थे कि कुल पर कलंक न लगे ,
क्या उस परम्परा के वंशजो का ऐसे नीच लोगो के साथ खड़े होने पर समाज में गलत संदेश नहीं जायेगा ?????
क्या इससे वही पाप दोहराने का प्रोत्साहन समाज के युवाओं को नही मिलेगा????
कुलकलंका के हिमायती क्या अपने परिवार के बच्चों से भी ऐसा ही घिनोना कृत्य किये जाने पर उन्हें अपना लेंगे??
इस तामझाम में समाज व माँ करणी के नाम को घसीटना कितना उचित है??
जिसका आर्थिक हित सधता हो वो जो करना हो करे,
जिनको साथ देना है बेशक देवे पर समाज व माँ करनी के नाम का गलत उपयोग क्यों???
इन राज परिवारो पर जब खुद पर बीतती हे तभी समाज याद आता है !!!
जब समाज आरक्षण, संस्कृति पर खिलवाड़ ,भूस्वामी आंदोलन, फिल्मो में गलत चित्रण, इतिहास से छेड़छाड़ आदि मुद्दों पर आंदोलन कर रहा होता है,
तब ये लोग किले महलो से बाहर आकर समाज के साथ खड़ा रहना तो दूर एक स्टेटमेंट देने तक से घबराते हैं।
ऐसे में जब खुद पर बीतती है, तो समाज से किस अधिकार के तहत उम्मीद करते है कि वो उनके साथ खड़ा हो???
आजादी के वक्त राजपरिवारों ने सीलिंग एक्ट से बचने के लिए अपनी जमीन महल आदि सरकार को समर्पित कर दिए,
तब याद नहीं आया की सैकड़ो वर्षो से हमारे लिए शीश कटाने वाले या सेवा करने वाले राजपूत समाज के गरीबो में ये सम्पतिया जागीरदारी उन्मूलन से पूर्व ही दे दी जाए??????
यहाँ तक की यदि समाज के सामूहिक उपयोग हेतु भी कोई भवन या जगह इन लोगो ने नहीं दी!!
कैसे रजवाड़े???किसके रजवाड़े???
कौन सी सेना???
गरीबो की या अमीरो की??
या दलालों की??
जय करणी माता,
शुभरात्रि.....
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ReplyDeleteधन्यवाद हुकुम,
Deleteबहुत दिन से सोशल मिडिया से अनुपस्थिति या चुप्पी की कोई खास वजह?