बीजेपी को बहुमत मिलेगा, विजय नायक कौन??---
यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही भृष्ट मीडिया द्वारा अखिलेश सरकार की वापसी का माहौल बनाया गया, ऐसा लगा मानो बीजेपी का वनवास और लम्बा होगा तथा लगातार दूसरा चुनाव जीतकर अखिलेश राष्ट्रीय नेता बन जाएगे,किन्तु जनता के मन में कुछ और ही चल रहा था,
यूपी में पहले चरण में बीजेपी हार के कगार पर थी----
तीन सबसे बड़े सामाजिक वर्ग मुस्लिम दलित और जाट यहाँ बीजेपी को हराने को कटिबद्ध थे,
अमित शाह की सभी सभाएं विफल हो रही थी और जाटों को बीजेपी के पक्ष में लाने के उनके सभी प्रयास व्यर्थ हो गए थे।।
ऐसे में बीजेपी ने मजबूर होकर योगी आदित्यनाथ को आगे किया जिन्होंने बिना संकोच के आक्रामक शैली में प्रचार किया जिसकी बदौलत गैर जाट/जाटव हिन्दू मत (कुल मतों का 48%) बीजेपी के पक्ष में एकजुट हो गए, राजनाथ सिंह की सभाओं ने भी दर्जनों सीटों पर बीजेपी को संजीवनी दी।
योगी जी और राजनाथ सिंह ही बीजेपी की ओर से प्रथम चरण के सबसे मुश्किल क्षेत्र में स्टार प्रचारक रहे और बीजेपी इस कठिन क्षेत्र से न सिर्फ सुरक्षित निकल गयी बल्कि सबसे आगे रही।
योगी आदित्यनाथ द्वारा बनाई गयी हिन्दू लहर द्वितीय चरण में रुहेलखण्ड के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में और जोर से चली, मुस्लिम वोट सपा बसपा में बंट गया और हिन्दू मतदाता बीजेपी के पक्ष में प्रथम चरण से भी अधिक एकजुट रहे, जिससे दूसरे चरण में बीजेपी बहुत आगे निकल गयी ।
प्रथम दोनों चरण में बीजेपी की बढ़त के समाचार जैसे ही फैलने लगे, बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ता चला गया।
अब तृतीय चरण में इटावा मैनपुरी के अहीर बाहुल्य क्षेत्र और अवध के इलाके में मतदान हुआ, यहाँ अहीरों द्वारा गत पांच वर्षो में जो एकाधिकार और वर्चस्व जमाया हुआ था उसके विरुद्ध गैर अहीर हिन्दू मतदाताओं का बीजेपी के पक्ष में जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ और बीजेपी लगातार तीसरे चरण में सबसे आगे रही।
अब बीजेपी को सत्ता पास दिखाई देने लगी, मोदी जी भी रंग में आ गए,और सपा सुप्रीमो अखिलेश को भी हार के संकेत साफ़ दिखाई देने लगे,झुंझलाहट उनके भाषणों में साफ़ दिखाई देने लगी।पहले तीन चरण में पर्याप्त संख्या में मुस्लिमो को टिकट देने के बावजूद मुस्लिम का रुझाम सपा की ओर रहने से बसपा की हालत एकदम खराब हो गयी।
चौथे चरण में बुन्देलखण्ड और इलाहाबाद के आसपास के जनपदों में मतदान हुआ, यहाँ मुस्लिम वोट कम थे
बुन्देलखण्ड में गैर अहीर ओबीसी और स्वर्ण बीजेपी के पक्ष में एकजुट हुए जिससे बुन्देलखण्ड में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा और बाकि जगह सपा कांग्रेस गठबंधन का बीजेपी से मुकाबला रहा।
चोथे चरण के मतदान के बाद बीजेपी की स्पष्ट बढ़त साफ़ दिखाई देने लगी, और यहाँ से सपा ने रणनीति बदली, स्वर्णो में पारस्परिक प्रतिद्वन्दिता का लाभ उठाने के लिए योगी और राजनाथ सिंह के नाम से ब्राह्मणों को भड़काया जाने लगा, इस रणनीति का कुछ लाभ पांचवे चरण में अवध क्षेत्र में विपक्ष को मिला और पहले चार चरण से सरपट भाग रही बीजेपी की बढ़त को थोडा ब्रेक मिला,
स्वर्णो की आपसी फुट से पांचवे चरण में सपा गठबंधन और बीजेपी में लगभग बराबरी का मुकाबला हुआ।
यहाँ से बीजेपी और संघ के एक वर्ग ने बीजेपी को बहुमत से पहले ही 150 सीट तक रोकने की रणनीति अपनाई और सपा बसपा के साथ मिलकर जातिवाद का जहर फैलाने का प्रयास हुआ,
इनकी रणनीति थी कि छठे चरण में योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाले इलाके में बीजेपी खराब प्रदर्शन करेगी तो योगी की सीएम दावेदारी खत्म हो जाएगी और बहुमत न मिलने की स्थिति में मायावती को बीजेपी का समर्थन दिलवाकर मुख्यमंत्री बनवा दिया जाए,
किन्तु अब मोदी जी ने मोर्चा सम्भाला ,मोदी और योगी के आक्रामक प्रचार से विपक्ष धराशायी हो गया,
मुस्लिम मत इस चरण में बसपा की ओर शिफ्ट हो गया जिससे आजमगढ़ बलिया में बीजेपी का मुकाबला बसपा से हुआ,
सपा इस चरण में लगभग सफा हो गयी।
सातवे चरण से पहले ही बीजेपी बहुमत के नजदीक पहुंच चुकी थी, अब मोदी जी ने लगातार 3 दिन बनारस में प्रचार करके अंतिम चरण में बीजेपी की लहर को सुनामी में बदल दिया,
विपक्ष ने अंतिम दो चरण में ब्राह्मणों को योगी और राजनाथ के नाम से बहकाकर स्वर्णो में फूट डालने का प्रयास किया किन्तु सफल नही हुए,
अंतिम दो चरण में बीजेपी ने पूर्वांचल में विपक्ष का लगभग सफाया कर दिया।।
कुल मिलाकर बीजेपी यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है।
बीजेपी की शानदार विजय के महानायक ये रहे---
1--प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी (जिनका जलवा कायम है)
2--योगी आदित्यनाथ (आक्रामक हिंदुत्ववादी प्रचार)
3--राजनाथ सिंह (सर्वश्रेष्ठ वक्ता)
4--अमित शाह (शानदार रणनीति)
5--ओम माथुर (अमित शाह के सहायक)
6--केशव प्रसाद मौर्य(अतिपिछड़ों में इनके कारण प्रदेशव्यापी सन्देश)
क्षेत्रीय स्तर पर संगीत सोम, सुरेश राणा, ओमप्रकाश राजभर, मनोज तिवारी, मनोज सिन्हा,अनुप्रिया पटेल,उमा भारती सुनील बंसल आदि भी उपयोगी सिद्ध हुए।
अब देखना ये है कि यूपी में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री किसे बनाया जाता है।।
सर्वश्रेष्ठ प्रशासक के रूप में राजनाथ सिंह सबसे आगे हैं वहीँ लोकप्रियता की कसौटी पर योगी आदित्यनाथ सबसे आगे हैं
अतिपिछड़ों में केशव मौर्य का दावा मजबूत है ब्राह्मणों में दिनेश शर्मा और महेन्द्रनाथ पाण्डेय की छवि सबसे बेहतर है
जनभावनाओं का सम्मान मोदी जी करना चाहें तो योगी जी सीएम पद हेतु सर्वश्रेष्ठ नेता हैं अगर हरियाणा की तरह ही मोदी जी किसी रबर स्टाम्प मुख्यमंत्री को चाहते हों तो दर्जनों छुटभैये नेता इस पद की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं जिनका प्रचार में कोई योगदान नही है ।।
जनभावनाओं का अपमान किया गया तो 2019 अधिक दूर नही है।
यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही भृष्ट मीडिया द्वारा अखिलेश सरकार की वापसी का माहौल बनाया गया, ऐसा लगा मानो बीजेपी का वनवास और लम्बा होगा तथा लगातार दूसरा चुनाव जीतकर अखिलेश राष्ट्रीय नेता बन जाएगे,किन्तु जनता के मन में कुछ और ही चल रहा था,
यूपी में पहले चरण में बीजेपी हार के कगार पर थी----
तीन सबसे बड़े सामाजिक वर्ग मुस्लिम दलित और जाट यहाँ बीजेपी को हराने को कटिबद्ध थे,
अमित शाह की सभी सभाएं विफल हो रही थी और जाटों को बीजेपी के पक्ष में लाने के उनके सभी प्रयास व्यर्थ हो गए थे।।
ऐसे में बीजेपी ने मजबूर होकर योगी आदित्यनाथ को आगे किया जिन्होंने बिना संकोच के आक्रामक शैली में प्रचार किया जिसकी बदौलत गैर जाट/जाटव हिन्दू मत (कुल मतों का 48%) बीजेपी के पक्ष में एकजुट हो गए, राजनाथ सिंह की सभाओं ने भी दर्जनों सीटों पर बीजेपी को संजीवनी दी।
योगी जी और राजनाथ सिंह ही बीजेपी की ओर से प्रथम चरण के सबसे मुश्किल क्षेत्र में स्टार प्रचारक रहे और बीजेपी इस कठिन क्षेत्र से न सिर्फ सुरक्षित निकल गयी बल्कि सबसे आगे रही।
योगी आदित्यनाथ द्वारा बनाई गयी हिन्दू लहर द्वितीय चरण में रुहेलखण्ड के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में और जोर से चली, मुस्लिम वोट सपा बसपा में बंट गया और हिन्दू मतदाता बीजेपी के पक्ष में प्रथम चरण से भी अधिक एकजुट रहे, जिससे दूसरे चरण में बीजेपी बहुत आगे निकल गयी ।
प्रथम दोनों चरण में बीजेपी की बढ़त के समाचार जैसे ही फैलने लगे, बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ता चला गया।
अब तृतीय चरण में इटावा मैनपुरी के अहीर बाहुल्य क्षेत्र और अवध के इलाके में मतदान हुआ, यहाँ अहीरों द्वारा गत पांच वर्षो में जो एकाधिकार और वर्चस्व जमाया हुआ था उसके विरुद्ध गैर अहीर हिन्दू मतदाताओं का बीजेपी के पक्ष में जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ और बीजेपी लगातार तीसरे चरण में सबसे आगे रही।
अब बीजेपी को सत्ता पास दिखाई देने लगी, मोदी जी भी रंग में आ गए,और सपा सुप्रीमो अखिलेश को भी हार के संकेत साफ़ दिखाई देने लगे,झुंझलाहट उनके भाषणों में साफ़ दिखाई देने लगी।पहले तीन चरण में पर्याप्त संख्या में मुस्लिमो को टिकट देने के बावजूद मुस्लिम का रुझाम सपा की ओर रहने से बसपा की हालत एकदम खराब हो गयी।
चौथे चरण में बुन्देलखण्ड और इलाहाबाद के आसपास के जनपदों में मतदान हुआ, यहाँ मुस्लिम वोट कम थे
बुन्देलखण्ड में गैर अहीर ओबीसी और स्वर्ण बीजेपी के पक्ष में एकजुट हुए जिससे बुन्देलखण्ड में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा और बाकि जगह सपा कांग्रेस गठबंधन का बीजेपी से मुकाबला रहा।
चोथे चरण के मतदान के बाद बीजेपी की स्पष्ट बढ़त साफ़ दिखाई देने लगी, और यहाँ से सपा ने रणनीति बदली, स्वर्णो में पारस्परिक प्रतिद्वन्दिता का लाभ उठाने के लिए योगी और राजनाथ सिंह के नाम से ब्राह्मणों को भड़काया जाने लगा, इस रणनीति का कुछ लाभ पांचवे चरण में अवध क्षेत्र में विपक्ष को मिला और पहले चार चरण से सरपट भाग रही बीजेपी की बढ़त को थोडा ब्रेक मिला,
स्वर्णो की आपसी फुट से पांचवे चरण में सपा गठबंधन और बीजेपी में लगभग बराबरी का मुकाबला हुआ।
यहाँ से बीजेपी और संघ के एक वर्ग ने बीजेपी को बहुमत से पहले ही 150 सीट तक रोकने की रणनीति अपनाई और सपा बसपा के साथ मिलकर जातिवाद का जहर फैलाने का प्रयास हुआ,
इनकी रणनीति थी कि छठे चरण में योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाले इलाके में बीजेपी खराब प्रदर्शन करेगी तो योगी की सीएम दावेदारी खत्म हो जाएगी और बहुमत न मिलने की स्थिति में मायावती को बीजेपी का समर्थन दिलवाकर मुख्यमंत्री बनवा दिया जाए,
किन्तु अब मोदी जी ने मोर्चा सम्भाला ,मोदी और योगी के आक्रामक प्रचार से विपक्ष धराशायी हो गया,
मुस्लिम मत इस चरण में बसपा की ओर शिफ्ट हो गया जिससे आजमगढ़ बलिया में बीजेपी का मुकाबला बसपा से हुआ,
सपा इस चरण में लगभग सफा हो गयी।
सातवे चरण से पहले ही बीजेपी बहुमत के नजदीक पहुंच चुकी थी, अब मोदी जी ने लगातार 3 दिन बनारस में प्रचार करके अंतिम चरण में बीजेपी की लहर को सुनामी में बदल दिया,
विपक्ष ने अंतिम दो चरण में ब्राह्मणों को योगी और राजनाथ के नाम से बहकाकर स्वर्णो में फूट डालने का प्रयास किया किन्तु सफल नही हुए,
अंतिम दो चरण में बीजेपी ने पूर्वांचल में विपक्ष का लगभग सफाया कर दिया।।
कुल मिलाकर बीजेपी यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है।
बीजेपी की शानदार विजय के महानायक ये रहे---
1--प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी (जिनका जलवा कायम है)
2--योगी आदित्यनाथ (आक्रामक हिंदुत्ववादी प्रचार)
3--राजनाथ सिंह (सर्वश्रेष्ठ वक्ता)
4--अमित शाह (शानदार रणनीति)
5--ओम माथुर (अमित शाह के सहायक)
6--केशव प्रसाद मौर्य(अतिपिछड़ों में इनके कारण प्रदेशव्यापी सन्देश)
क्षेत्रीय स्तर पर संगीत सोम, सुरेश राणा, ओमप्रकाश राजभर, मनोज तिवारी, मनोज सिन्हा,अनुप्रिया पटेल,उमा भारती सुनील बंसल आदि भी उपयोगी सिद्ध हुए।
अब देखना ये है कि यूपी में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री किसे बनाया जाता है।।
सर्वश्रेष्ठ प्रशासक के रूप में राजनाथ सिंह सबसे आगे हैं वहीँ लोकप्रियता की कसौटी पर योगी आदित्यनाथ सबसे आगे हैं
अतिपिछड़ों में केशव मौर्य का दावा मजबूत है ब्राह्मणों में दिनेश शर्मा और महेन्द्रनाथ पाण्डेय की छवि सबसे बेहतर है
जनभावनाओं का सम्मान मोदी जी करना चाहें तो योगी जी सीएम पद हेतु सर्वश्रेष्ठ नेता हैं अगर हरियाणा की तरह ही मोदी जी किसी रबर स्टाम्प मुख्यमंत्री को चाहते हों तो दर्जनों छुटभैये नेता इस पद की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं जिनका प्रचार में कोई योगदान नही है ।।
जनभावनाओं का अपमान किया गया तो 2019 अधिक दूर नही है।
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