1--शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह--
(जाति--सांसी सिक्ख)
इस युग में सबसे बड़ा साम्राज्य,जिसे उनके जीवित रहते हुए अंग्रेज भी छू तक नही पाए।
2--महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति सरदार हरिसिंह नलवा--
(जाति--उप्पल खत्री सिक्ख)
अफगानों को उनके घर में घुसकर मार लगाने वाले
और खैबर दर्रे का मुँह हमेशा के लिए बन्द करने वाले शूरवीर यौद्धा, जिनसे पठान बुरी तरह से भयभीत थे।
3--इंदौर के महाराजा यशवन्त राव होल्कर---
(जाति--धनगर गड़रिया)
एक ऐसा शूरवीर जिसे उस समय अंग्रेज अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते थे, और उससे किसी भी शर्त पर समझोता करने को राजी थे,
एक ऐसा महानायक जिसका साथ पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह देते, दौलतराव सिंधिया और अमीर खान पिंडारी उनके साथ विश्वासघात न करते और भरतपुर का जाट राजा उनका साथ छोड़कर अंग्रेजो से न मिल जाता,
तो यशवन्त राव होल्कर का अगला निशाना कलकत्ता होता और अंग्रेजो को उसी समय भारत छोड़कर जाना पड़ता!!
ऐसा शूरवीर मात्र 35 वर्ष की आयु में स्वर्ग सिधार गया!!!!
4--जम्मू कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह---
(जाति--डोगरा जमवाल राजपूत)
अपने शौर्य और सूझबूझ के साथ जम्मू कश्मीर रियासत की स्थापना की, गिलगित बाल्टिस्तान के पठानों का बड़ी निर्दयता के साथ दमन करके उन्हें उन्ही की भाषा में कड़ा सबक सिखाया।
एक ऐसे क्षेत्र में हिन्दू राजपूत राज्य स्थापित किया जहाँ 75% आबादी मुस्लिमो की थी।
5--जनरल जोरावर सिंह कल्हुरिया---
(जाति--चन्देल राजपूत)
महाराजा गुलाब सिंह के सेनापति जनरल जोरावर सिंह की गणना भारत के सर्वकालीन महान सेनानायकों में की जाती है।
बडे बड़े दुरूह बर्फीले पहाड़ो को पार करके तिब्बत,लद्दाख,गिलगित-बाल्टिस्तान तक का इलाका महाराजा गुलाब सिंह के राज्य में जोड़ने वाले जनरल जोरावर सिंह को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
भारतवर्ष और जम्मू कश्मीर की आधुनिक सीमाएं जनरल जोरावर सिंह की शूरवीरता की सदैव ऋणी रहेंगी।
6--जगदीशपुर बिहार के बाबू कुंवर सिंह----
(जाति--परमार राजपूत)
यदि क्रांति के समय उनकी आयु 50 वर्ष से कम होती तो देश का इतिहास कुछ और ही होता।
7--नेपाल के भीमसेन थापा और उनके पौत्र जंगबहादुर राणा---
(जाति--क्षेत्री ,जो पहाड़ी खस जनजाति+ भारतीय क्षत्रियों+ मंगोलॉयड जनजातियों का मिक्स ब्रीड समाज है)
इनके समय में नेपाल साम्राज्य की विजय पताका पश्चिम में सतलुज नदी और सुदूर पूर्व में सिक्किम दार्जलिंग व् तीस्ता नदी से जा मिलती थी।
आज का गढ़वाल, कुमायूं, सिरमोर, कांगड़ा तक जीतते हुए नेपाल का गोरखा साम्राज्य एक समय आश्चर्यजनक रूप से पंजाब की सरहद तक पहुंच गया था।
8--महारानी लक्ष्मीबाई---
(जाति--मराठी ब्राह्मण)
झाँसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की महान वीरांगना थीं।
उन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से संग्राम किया और रणक्षेत्र में वीरगति प्राप्त की किन्तु जीते जी अंग्रेजों को अपनी झाँसी पर कब्जा नहीं करने दिया।
9--तांतिया टोपे----
(जाति--मराठी ब्राह्मण)
भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। सन १८५७ के महान विद्रोह में उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी।
10--स्वतन्त्रता संग्राम 1857 के अन्य सभी बड़े यौद्धा संयुक्त रूप से नाना साहिब, राणा बेनीमाधव सिंह बैस जी, आउवा ठाकुर कुशाल सिंह, बख्त खान, बेगम हजरत महल, आदि सैंकड़ो वीर क्रांतिकारी शामिल हैं।
1857 से भी पहले अंग्रेजो के विरुद्ध संघर्ष छेड़ने वाले वजीर रामसिंह पठानिया और
अंग्रेजो के विरुद्ध सशस्त्र आदिवासी आंदोलन के महानायक बिरसा मुंडा का नाम भी सूचि में शामिल किया जा सकता है।
उपरोक्त विचार मेरे व्यक्तिगत हैं किसी पर बाध्यकारी नही हैं।