Sunday, October 16, 2016

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हिन्दू सोढा राजपूत क्या वाकई खुश हैं???

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हिन्दू सोढा राजपूत क्या वाकई खुश हैं??----

#sodha rajputs of pakistan
सन् 1947 ईस्वी में भारत विभाजन के समय मौहम्मद अली जिन्ना ने राजपूताने की मारवाड़, जैसलमेर, बीकानेर जैसी रियासतों के राजपूत राजाओं को पाकिस्तान में मिलने का प्रस्ताव दिया था, और कई प्रलोभन भी दिए थे,

तत्कालीन कांग्रेस सरकार की राजपूत विरोधी नीतियों के बावजूद जिन्ना के लुभावने प्रस्ताव को सोच समझकर महाराजा हनुमन्त सिंह और बाकि राजपूत राजाओं ने ठुकरा दिया था,

आज कुछ मुर्ख और दिखावे की कथित तड़क भड़क से प्रभावित होने वाले राजपूत बन्धु (इक्का दुक्का मन्दबुद्धि) कहते हैं कि वो प्रस्ताव स्वीकार कर लेना चाहिए था,इससे इन इलाको में आज भी राजपूतो की जागीरदारी और वर्चस्व बना रहता!!!!अपनी बात के सबूत में वो करणी सिंह और हमीर सिंह सोढा की कथित तड़क भड़क की तस्वीरें पोस्ट करते हैं,जो अर्धसत्य है।

लेकिन अमरकोट के सोढा राजपूत परिवार ने पाकिस्तान में मिलने का निर्णय लिया,और बाद में जो हुआ वो इतिहास है।।ऊपर से कितनी भी तड़क भड़क प्रचारित की जाती हो पर आज वहां के सोढा राजपूत अपने निर्णय पर पछता रहे हैं।

1---पाकिस्तान में जागीरदारी प्रथा समाप्त नही हुई और न ही सीलिंग एक्ट लागु है,इससे अधिकांश मुस्लिम जमीदारो के साथ साथ थोडा सा लाभ थारपारकर जिले के कुछ सोढा राजपूत परिवारो को भी हुआ है।।

2---पाकिस्तान सेना ने अमरकोट का किला सोढा राजपरिवार से छीन लिया,और इसका हिन्दू नाम अमरकोट को बदलकर मुस्लिम नाम उमरकोट रख दिया,
यही नही इसकी स्थापना का श्रेय भी राजपूतों की बजाय किसी और को दे दिया।।

3--पाकिस्तान में सिंध प्रदेश में ही थोड़े हिन्दू बचे हैं,हर साल जान और इज्जत बचाने के लिए हजारो हिन्दू पलायन करके भारत में शरण लेते हैं, सिंध में हिन्दू युवतियों के अपहरण के बाद जबरन धर्म परिवर्तन की सैंकड़ो घटनाए होती रहती हैं,

वहां राजपूत समुदाय अपने परिवार की लड़कियों और महिलाओं को किसी भी हालत में घर से बाहर निकलने नही देता,न स्कुल में जाने देता है,
न ही बीमारी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है,और सुरक्षा की दृष्टि से यह सही भी है।

1971 के भारत पाक युद्ध के बाद हजारो सोढा राजपूत सुरक्षा के लिए भारत में शरण लेने आए।।कई हजारो एकड़ के जमीदार सोढा राजपूत भी अपनी जन्मभूमि से उजड़ने को मजबूर हो गए,और आज गुजरात,राजस्थान में रहते हैं।

4--सिंध के अमरकोट/थारपारकर/छाछरो/मीठी क्षेत्र में 1947 ईस्वी तक हिंदुओं की आबादी 70 से 80% थी और मुस्लिम इस इलाके में मात्र 25% थी,पर पाकिस्तान की इस्लामीकरण निति और हिन्दुओ के पलायन/उत्पीड़न के कारण अब सिंध के इस इलाके में भी हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं और मुस्लिम जनसंख्या यहाँ बढ़कर 55% से 75% तक हो गयी है,

यही हाल रहा तो अगले बीस साल में इन बचे खुचे हिंदुओं के भी सिंध/अमरकोट की प्राचीन भूमि से विलुप्त होने का खतरा है।

5--जिस सोढा राजपूत परिवार की तड़क भड़क आजकल सोशल मिडिया पर अतिप्रचारित की जा रही है,वो मजबूती से डटे हुए हैं पर उनके सामने भी बहुत मुश्किलें आ रही है।
स्वर्गीय राणा चन्द्रसिंह सोढा पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के जुल्फिक्कर अली भुट्टो के नजदीकी थे,और कई बार पाकिस्तान की संघीय सरकार में मंत्री और हिन्दू कोटे से राष्ट्रीय असेम्बली के सदस्य भी रहे।

पर बाद में हिन्दू विरोधी निति के कारण इस परिवार के सम्बन्ध पाकिस्तान की राष्ट्रिय पार्टियों से खराब हो गए और अब इन्होंने पाकिस्तान हिन्दू पार्टी बना ली है,
राजनीति में अब इस परिवार का वर्चस्व बहुत कम हो गया है,पहले हिन्दू कोटे से इस परिवार को राष्ट्रिय असेम्बली में जगह मिलती थी पर अब हिन्दू कोटे से भील दलितों और व्यापारी वर्ग को राष्ट्रिय असेम्बली में भेजा जाता है।।पाकिस्तान के हिंदुओं में राजपूतों की संख्या मात्र 5% है,बाकि 95% भील दलित और कुछ व्यापारी हैं

दरअसल पाकिस्तान पहले इस सोढा राजपरिवार का अपने यहाँ वर्चस्व दिखाकर भारत के राजपूतों को आकर्षित करना चाहता था,जैसे अब पाकिस्तान में मुस्लिम जाटों की ताकत का प्रचार करके हरियाणा राजस्थान में युनिस्ट मिशन के माध्यम से जाटों को लुभाया जा रहा है,
लेकिन राजपूत पाकिस्तान के झांसे में न कभी आए हैं न कभी आएंगें।
इसलिए अपना दांव फेल होता देख इस परिवार को मिलने वाली अहमियत पाकिस्तान में बन्द हो गयी है।अब पाकिस्तान में बहुत से वर्ग और सरकार इन स्वाभिमानी सोढा राजपूतो के खिलाफ दलितों को खूब भड़काते हैं और वहां भी उनके प्रभाव में हिन्दुओ का बड़ा वर्ग अब इन सोढा राजपूतों के प्रभुत्व के खिलाफ है

अपनी बची हुई जमीदारी और आत्मसम्मान की भावना से ओतप्रोत शानदार व्यक्तित्व के स्वामी हमीर सिंह सोढा जी और उनके पुत्र करणी सिंह ,मुस्लिमो के एक वर्ग की चुनोती के बावजूद दमखम से डटे हुए हैं,
इसमें कोई शक नही कि भारत में आज सैंकड़ो शाही परिवारो में एक भी व्यक्तित्व हमीरसिंह सोढा जी की टक्कर का नही है।उनके शानदार व्यक्तित्व पर राजपूतो को गर्व है और होना भी चाहिए,
लेकिन भारत में सोशल मिडिया पर उन्हें लेकर होने वाले मूर्खतापूर्ण प्रचार से उन्हें समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है,

कुछ दिनों पहले भारत में सोशल मिडिया पर झूठा प्रचार हुआ कि इन्होंने सिंध में भारत का तिरंगा झंडा लहरा दिया है और लाखो मूर्खो ने इसे कॉपी पेस्ट कर फैला दिया,
जब यह खबर पाकिस्तान में गयी और प्रतिक्रिया हुई तो करणी सिंह सोढा ने स्पष्टीकरण देना पड़ा कि वे देशभक्त पाकिस्तानी है और उन्होंने भारत में यह झूठा प्रचार बन्द करने की अपील की।।

अभी भी सोशल मिडिया और न्यूज़ पोर्टलों पर उन्हें लेकर अतिशयोक्तिपूर्ण प्रचार होता है कि देखो एक राजपूत कैसे पाकिस्तान में मुसलमानो की छाती पर बैठकर राज कर रहा है,
जबकि इस झूठे प्रचार से सिंध में बचे हुए इन सोढा राजपूतो को सिवाय समस्या और कुछ नही मिलेगा।।
पर लगता है सोशल मिडिया पर सिर्फ जय राजपूताना का नारा लिखने वाले राजपूत इन्हें पाकिस्तान में भी चैन से जीने नही देंगे।।

यह न्यूज़ लिंक पाकिस्तान के डॉन अख़बार का है जिसमे साफ़ लिखा है कि सोढा राजपूत पाकिस्तान में मिलने के निर्णय पर आज पछता रहे हैं।
कभी मौका मिले तो युद्ध में इस इलाके को जीतकर भारत में मिला लेने से ही इन सिंध/अमरकोट के हिंदुओं का अस्तित्व बच पाएगा।
1971 में मौका आया था और छाछरो तक भारतीय सेना ने जीत लिया था,पर इंदिरा सरकार ने वो जीती हुई भूमि पाकिस्तान को वापस कर दी।

कृपया यह ब्लॉग लिंक खोलकर भी जरूर पढ़ें
http://www.dawn.com/news/1157340

No comments:

Post a Comment