मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने राजपूतो के साथ छल किया----
मोदीभक्त न होते हुए भी मैंने अपने साथियों के साथ मिलकर पिछले 6-7 माह से उत्तर प्रदेश में बीजेपी का समर्थन किया, इसके कुछ कारण हैं।
1--क्योंकि राजपूत स्वभाव से राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी होता है इसलिए बीजेपी हम सबकी स्वाभाविक पसन्द बनी,
भले ही बीजेपी का हिंदुत्व किसी जुमले से अधिक न हो,पर आप सबके साथ मेरा भी बीजेपी को हमेशा से समर्थन करने का प्रमुख कारण राष्ट्रवाद और हिंदुत्व रहा।
2--विशाल जनसंख्या होने के बावजूद राजपूत समाज पिछले 70 वर्षों से उत्तर प्रदेश की शीर्ष सत्ता से दूर रहा है , सत्ता सुख से हम सदैव वंचित रहे हैं,बीच में कोई राजपूत मुख्यमंत्री बना भी तो उसे टिकने नही दिया गया!!
प्रारम्भ में ब्राह्मण और बाद के दिनों में अहीर/दलित/मुस्लिम उत्तर प्रदेश के शासक वर्ग रहे और हम मंत्री-संत्री बनकर इनकी चाकरी ही करते रहे,
सपा बसपा और उनके समर्थक वर्ग क्षत्रियों के स्वभाविक शत्रु हैं उन्होंने क्षत्रियों को सूबेदारी तो दी पर सम्मान नही मिला, सपा बसपा और उनकी सरकारों में अहिरो दलितों मुस्लिमो का वर्चस्व भी हम सबका बीजेपी को समर्थन के लिए प्रमुख कारक रहा।
3--सपा बसपा सरकारों में भी हमें मंत्री संत्री पद खूब मिले ,पर मान सम्मान नही मिला,
वहां कभी हमे शीर्ष सत्ता (मुख्यमंत्री पद) मिलना सम्भव नही था जो उत्तर प्रदेश में हमारे लिए प्राणवायु की भांति बेहद जरूरी है
वर्षों से शीर्ष सत्ता से अलग थलग रखे गए राजपूत समाज ने योगी आदित्यनाथ/राजनाथ सिंह की सीएम उम्मीदवारी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को जबरदस्त और एकतरफा समर्थन दिया।
आप आंकड़ो में स्वयं देखिये ,उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सर्वाधिक समर्थन क्षत्रिय समाज ने किया,
बीजेपी को मिले 40% कुल मतों में एक तिहाई समर्थन सिर्फ राजपूतो के दम पर मिला,
राजपूत समर्थन न देते तो कितनी भी बड़ी लहर होती बीजेपी 25% पर सिमट जाती!!
बीजेपी के विजयी विधायको में सर्वाधिक संख्या 56 राजपूतो की ही है,राजपूतो ने बीजेपी के चक्कर में दूसरे दलों से खड़े दर्जन भर मजबूत राजपूत उम्मीदवारों को हरवा दिया नही तो यूपी विधानसभा में राजपूत विधायको की संख्या 80 के पार होती।
आज मोदी अमित शाह की जोड़ी ने उत्तर प्रदेश की जीत में राजपूतों का योगदान पूरी तरह से नकार दिया है तो ऐसा लग रहा है मानो इतने दिन से हम दूसरों के खेत में हल चला रहे थे,
हमारा तो कुछ था ही नही जिसके लिए हम लड़ रहे थे!!!!
दशकों से शीर्ष सत्ता की बाट जोह रहे क्षत्रिय समाज के साथ मोदी जी ने छल किया है और हमारी भावनाओं का दोहन कर हमे नींबू की तरह रस निचोड़कर कूड़ेदान में फेक दिया है ऐसा प्रतीत होता है।
इस धोखे का प्रतिकार अवश्य होगा, समय आने पर
👊👊
राजपूतो का चरित्र है कि हम दुश्मनी नही भूलते, चाहे बदला लेने का मौका लम्बे समय बाद ही मिले।
हम बीजेपी की हवा बना सकते हे तो हवा निकाल भी सकते हे ।
हर बार हम अपने अरमानो की हत्या करके मन मसोस कर बैठ जाते हे ,
अब इससे ज्यादा सहा नही जाता भाड़ में जाए ऐसा राष्टवाद जिसकी बलि का बकरा हर बार राजपूत बने...😬😬
मोदी-अमित शाह की जोड़ी का दिया घाव सीने में बहुत अंदर तक असर कर गया है,
घाव दिया है तो लहू भी टपकेगा
याद रखना मोदी जी, क्षत्रिय का लहू असर जरूर दिखाएगा।
हर हर महादेव
मोदीभक्त न होते हुए भी मैंने अपने साथियों के साथ मिलकर पिछले 6-7 माह से उत्तर प्रदेश में बीजेपी का समर्थन किया, इसके कुछ कारण हैं।
1--क्योंकि राजपूत स्वभाव से राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी होता है इसलिए बीजेपी हम सबकी स्वाभाविक पसन्द बनी,
भले ही बीजेपी का हिंदुत्व किसी जुमले से अधिक न हो,पर आप सबके साथ मेरा भी बीजेपी को हमेशा से समर्थन करने का प्रमुख कारण राष्ट्रवाद और हिंदुत्व रहा।
2--विशाल जनसंख्या होने के बावजूद राजपूत समाज पिछले 70 वर्षों से उत्तर प्रदेश की शीर्ष सत्ता से दूर रहा है , सत्ता सुख से हम सदैव वंचित रहे हैं,बीच में कोई राजपूत मुख्यमंत्री बना भी तो उसे टिकने नही दिया गया!!
प्रारम्भ में ब्राह्मण और बाद के दिनों में अहीर/दलित/मुस्लिम उत्तर प्रदेश के शासक वर्ग रहे और हम मंत्री-संत्री बनकर इनकी चाकरी ही करते रहे,
सपा बसपा और उनके समर्थक वर्ग क्षत्रियों के स्वभाविक शत्रु हैं उन्होंने क्षत्रियों को सूबेदारी तो दी पर सम्मान नही मिला, सपा बसपा और उनकी सरकारों में अहिरो दलितों मुस्लिमो का वर्चस्व भी हम सबका बीजेपी को समर्थन के लिए प्रमुख कारक रहा।
3--सपा बसपा सरकारों में भी हमें मंत्री संत्री पद खूब मिले ,पर मान सम्मान नही मिला,
वहां कभी हमे शीर्ष सत्ता (मुख्यमंत्री पद) मिलना सम्भव नही था जो उत्तर प्रदेश में हमारे लिए प्राणवायु की भांति बेहद जरूरी है
वर्षों से शीर्ष सत्ता से अलग थलग रखे गए राजपूत समाज ने योगी आदित्यनाथ/राजनाथ सिंह की सीएम उम्मीदवारी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को जबरदस्त और एकतरफा समर्थन दिया।
आप आंकड़ो में स्वयं देखिये ,उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सर्वाधिक समर्थन क्षत्रिय समाज ने किया,
बीजेपी को मिले 40% कुल मतों में एक तिहाई समर्थन सिर्फ राजपूतो के दम पर मिला,
राजपूत समर्थन न देते तो कितनी भी बड़ी लहर होती बीजेपी 25% पर सिमट जाती!!
बीजेपी के विजयी विधायको में सर्वाधिक संख्या 56 राजपूतो की ही है,राजपूतो ने बीजेपी के चक्कर में दूसरे दलों से खड़े दर्जन भर मजबूत राजपूत उम्मीदवारों को हरवा दिया नही तो यूपी विधानसभा में राजपूत विधायको की संख्या 80 के पार होती।
आज मोदी अमित शाह की जोड़ी ने उत्तर प्रदेश की जीत में राजपूतों का योगदान पूरी तरह से नकार दिया है तो ऐसा लग रहा है मानो इतने दिन से हम दूसरों के खेत में हल चला रहे थे,
हमारा तो कुछ था ही नही जिसके लिए हम लड़ रहे थे!!!!
दशकों से शीर्ष सत्ता की बाट जोह रहे क्षत्रिय समाज के साथ मोदी जी ने छल किया है और हमारी भावनाओं का दोहन कर हमे नींबू की तरह रस निचोड़कर कूड़ेदान में फेक दिया है ऐसा प्रतीत होता है।
इस धोखे का प्रतिकार अवश्य होगा, समय आने पर
👊👊
राजपूतो का चरित्र है कि हम दुश्मनी नही भूलते, चाहे बदला लेने का मौका लम्बे समय बाद ही मिले।
हम बीजेपी की हवा बना सकते हे तो हवा निकाल भी सकते हे ।
हर बार हम अपने अरमानो की हत्या करके मन मसोस कर बैठ जाते हे ,
अब इससे ज्यादा सहा नही जाता भाड़ में जाए ऐसा राष्टवाद जिसकी बलि का बकरा हर बार राजपूत बने...😬😬
मोदी-अमित शाह की जोड़ी का दिया घाव सीने में बहुत अंदर तक असर कर गया है,
घाव दिया है तो लहू भी टपकेगा
याद रखना मोदी जी, क्षत्रिय का लहू असर जरूर दिखाएगा।
हर हर महादेव
in sab ka main 1 hi upai manta hun ham logon ko kisi ek ilake mein basna hoga aur ghar pe sanskaron ko badhan hoga aur ye sabko batana hoga ki sare hamare dushman hain hamein khud majboot hona hai
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