Thursday, November 10, 2016

कहाँ गया गुजरात और वीरभूमि मेवाड़ का सैन्य गौरव ?????


क्या नष्ट हो गया गुजरात और मेवाड़ का सैन्य गौरव??--------

एक बार फील्ड मार्शल सैम मानेकशा अहमदाबाद गए थे तो एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सेना में विभिन्न प्रदेशो के सैनिको के साथ रहकर वो पंजाबी, गढ़वाली, हिमाचली, मराठी, हरियाणवी, मारवाड़ी, भोजपुरी, हिमाचली, डोगरी, कूर्गी भाषा सीख गए हैं,
वहां कुछ श्रोताओं ने उनसे पूछा कि फिर आपने गुजराती क्यों नही सीखी??
तो सैम ने जवाब दिया कि उनकी सर्विस के दौरान उन्हें भारतीय सेना में गुजराती जवान और ऑफिसर न के बराबर मिले तो वो कैसे गुजराती सीख पाते????
जबकि देश के दूसरे आर्मी चीफ जनरल राजेन्द्र सिंह जाडेजा गुजरात से ही थे पर बाद में यह क्रम नही बढ़ा।।

भारतीय सेना में 10% से ज्यादा जवान अकेले हरियाणा से आते हैं जबकि हरियाणा की आबादी देश की कुल आबादी का लगभग 2% ही है,
इससे कुछ कम आंकड़ा पंजाब का है।

सेना में उत्तराखण्ड हिमाचल प्रदेश और जम्मू के जवानो की कुल संख्या भी करीब 15% है जबकि इन पहाड़ी प्रदेशों की कुल जनसंख्या देश की कुल आबादी का मात्र 2% है।

इसी प्रकार यूपी का प्रतिनिधित्व करीब 15% और बिहार का 7% है जबकि इन दोनों प्रदेशो में देश की लगभग 25% आबादी निवास करती है

सेना में पंजाब और राजस्थान का प्रतिनिधित्व भी अब जवान और अधिकारी स्तर दोनों जगह सिकुड़ रहा है।

जबकि समूचे गुजरात और राजस्थान की वीरभूमि मेवाड़ का प्रतिनिधित्व भारतीय सेना में न के बराबर है ,ऐसा क्यों हुआ????
मेवाड़ वीरभूमि के रूप में सारे विश्व में विख्यात रहा है और मौहम्मद गौरी ,अकबर को सबसे करारी मात भी गुजरात में ही मिली थी, फिर अब क्या हुआ???

कुछ लोग कहेंगे कि इन इलाको में राजपूत और दूसरी मार्शल जातियां सेना में जाने की बजाय व्यापार और विदेश में जाना पसन्द करते हैं,
पर गुजरात और मेवाड़ के राजपूत पुलिस में खूब जाते हैं और हजारो बेरोजगार भी हैं,
फिर भारतीय सेना में जवान और अधिकारी स्तर पर भर्ती क्यों नही होते???
क्या गुजरात और मेवाड का सैन्य गौरव और क्षमता अब नष्ट हो चुका है?????
ऐसा प्रतीत होता है कि लगातार युद्धों में वीरगति के बाद मेवाड़ में राजपूतों की संख्या में बड़ी गिरावट भी हुई, महाराणा भीमसिंह के समय उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए भाड़े के सिंधी मुसलमान भर्ती करने पड़े थे क्योंकि मेवाड़ में राजपूत बहुत कम बचे थे।

वहीँ समूचे गुजरात से भारतीय सेना में जितने जवान हैं उनसे ज्यादा जवान अकेले यूपी के गहमर और आसपास के गांव से हैं जिनमे अधिकतर सिकरवार राजपूत हैं।
अकेले हरियाणा के रेवाड़ी जिले से 25 हजार अहीर जवान देश की प्रतिरक्षा सेना में हैं ।

आज जवान और अधिकारी दोनों स्तर पर हरियाणा और देश के पहाड़ी क्षेत्र ही भारतीय सेना की रीढ़ बन गए हैं ,पंजाब और राजस्थान शुरुवाती दिनों की बढ़त के बाद अब पिछड़ गए हैं।पंजाब से खालिस्तान आंदोलन के बाद सेना का क्रेज खत्म हो गया है,अब पंजाब के सिक्ख सेना की बजाय विदेश जाना पसन्द करते हैं।

मेवाड़ से भारतीय सेना में भर्ती क्यों नही होती इसके और क्या कारण हो सकते हैं???
क्या शारीरिक कद काठी और लडाकूपन में भी कमी आ गयी है???
या ब्रिटिश काल से आज तक किसी ख़ास कारण से जान बूझकर इनके साथ भेदभाव हो रहा है??

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