मुजफ्फरनगर शामली जिले की राजनीति में राजपूतों की भूमिका---
आज मुजफ्फरनगर शामली की राजनीति में राजपूत समाज हाशिए पर है,जनपद में मुस्लिम, जाट, गुर्जरो का वर्चस्व है इनके बाद सैनियों का नम्बर आता है
कभी ताकतवर रहे त्यागी समाज की भी कोई विशेष भूमिका अब दिखाई नही देती,
किन्तु राजपूत समाज एक समय जनपद मुजफ्फरनगर शामली की राजनीति में अग्रणी भूमिका में था,जिसपर आज विश्वास करना मुश्किल है,
आप खुद राजपूतो की घटती हुई शक्ति पर नजर डालिये-----
1--1952 व् 1957 में कोई राजपूत या गुज्जर न सांसद बन पाया न ही कोई विधायक बन पाया,सांसद की 2 सीटों पर ब्राह्मण बनियो मुस्लिमो का वर्चस्व रहा,वहीँ इन वर्षो में 2-2 जाट विधायक विधानसभा पहुंचे।
2--1962 में राजपूतों ने जोरदार प्रदर्शन किया,
A--1962 में जाट मुस्लिम गुज्जर बाहुल्य कैराना लोकसभा सीट से ठाकुर यशपाल सिंह (पनियाला रुड़की निवासी) ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया,
B--1962 में ही जाट बाहुल्य बुढ़ाना विधानसभा सीट से ठाकुर विजयपाल सिंह कछवाह ने सीपीआई के टिकट पर जीत हासिल की।
वहीँ थानाभवन विधानसभा सीट से कांग्रेस के ठाकुर रामचन्द्र सिंह पुण्डीर ने जीत हासिल की।
इस वर्ष भी कोई जाट गुज्जर लोकसभा नही पहुंच पाए, गुज्जर विधानसभा इस बार भी नही जा पाए,वहीँ 2 जाट विधायक जीते,
इस प्रकार 1962 में मुजफ्फरनगर शामली जिले में राजपूतों का वर्चस्व रहा।
3--1967 में लोकसभा की दोनों सीट मुस्लिम जीते,
वहीँ थानाभवन विधानसभा सीट से ठाकुर रामचन्द्र सिंह पुण्डीर दोबारा विजयी हुए,
इस वर्ष भी कोई गुर्जर विधानसभा में नही पहुंच पाया,वहीँ 2 जाट विधायक चुने गए।।
4--1969 में मध्यावधि चुनाव हुए जिनमे सभी विधानसभा सीट चौधरी चरण सिंह की बीकेडी ने जीती,कोई राजपूत विधायक नही बन पाया,
थानाभवन से मुस्लिम राजपूत विधायक बना,
वहीँ पहली बार गुज्जर विधायक जीत पाया,2 जाट भी विधायक बने।
5--1971 में राजपूतों ने इतिहास रच दिया,जब ठाकुर विजयपाल सिंह कछवाह (बिराल) ने जाट बाहुल्य मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चौधरी चरण सिंह जैसे राष्ट्रीय नेता को हरा दिया,इस हार की टीस अभी तक जाट नेताओं में है।
6--1974 विधानसभा चुनाव में राजपूतो ने वापसी की,
जाट गुज्जर बाहुल्य सीट कांधला से ठाकुर मूलचन्द (bkd)और थानाभवन सीट से ठाकुर मलखान सिंह (कांग्रेस)विधायक बने
वहीँ इस बार 2 जाट और 2 गुज्जर विधायक भी बने।
7--1977 में लोकसभा चुनाव में पहली बार कोई जाट सांसद बन पाया।इसके बाद मुजफ्फरनगर शामली में सांसद की दोनों सीटो पर मुस्लिम और जाटों का एकाधिकार सा हो गया।
1977 विधानसभा चुनाव में थानाभवन सीट पर ठाकुर मूलचन्द जनता पार्टी से विधायक बने,
जबकि 2 गुज्जर और 2 जाट भी विधायक बने,
इस प्रकार जाट गुज्जरों के वर्चस्व की शुरुवात इसी चुनाव से हुई।
8--1980 में लोकसभा की 1 सीट व् विधानसभा की 1 सीट पर जाट विजयी हुआ,वहीँ 2 विधायक गुज्जर बने,
इसी चुनाव में जाटों के बेहद मजबूत गढ़ बघरा विधानसभा सीट से बाहुबली ठाकुर नकली सिंह पुण्डीर (भमेला निवासी) जीत गए,आज तक इस सीट से इकलौते गैर जाट विधायक यही हैं
9--1984 व् 1985 में कोई राजपूत न विधायक न ही सांसद बन पाया,
जाट समाज से 1 सांसद और 2 विधायक जाट, व् 2 गुज्जर विधायक बने।।
10--1989 में जनता दल की लहर में ठाकुर नकली सिंह पुण्डीर थानाभवन विधानसभा सीट से जीते,
वहीँ 2 जाट और 1 गुज्जर विधायक बने,1 सांसद भी जाट जीते।।
11--1991 में लोकसभा की दोनों सीट पर जाट जीते,वहीँ विधानसभा में भी 2 जाट और 2 गुज्जर जीते,
राजपूतो का इस चुनाव में सफाया हो गया।
12-- 1993 में 3 जाट और 1 गुज्जर विधायक बना,
जबकि थानाभवन सीट से ठाकुर जगत सिंह चौहान (चौसाना) बीजेपी से विधायक बने।।
13--1996 में 1 सांसद और 1 विधायक जाट समाज से जीता ,वहीँ 3 गुज्जरों ने जीतकर जाटों को सोचने को मजबूर कर दिया,पहली बार 1 सैनी भी विधायक बना,
इस चुनाव में कोई राजपूत नही जीत पाया,लेकिन बाद में थानाभवन सीट पर हुए उपचुनाव में ठाकुर जगत सिंह ने सपा के टिकट पर जीत हासिल की।
बस इसके बाद जनपद मुजफ्फरनगर शामली की राजनीति में राजपुतो का महत्व लगभग समाप्त सा हो गया।
लगभग डेढ़ दशक तक कोई राजपूत यहाँ से विधायक नही बन पाया,
2012 में फिर से बीजेपी के टिकट पर लोकप्रिय नेता ठाकुर सुरेश राणा ने बेहद मामूली अंतर से थानाभवन सीट से विजय हासिल की,
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर मेरठ की सरधना विधानसभा जोड़ देने से इस सीट पर राजपूत मत लगभग डेढ़ लाख हो गए हैं जो मुसलमानो दलितों और जाटों के बाद चौथे नम्बर पर हैं तो भविष्य में इस लोकसभा सीट पर राजपूतो को नजर रखने की आवश्यकता है,
इस प्रकार हम देखते हैं कि जाट मुस्लिम गुज्जर बाहुल्य मुजफ्फरनगर शामली जिले में राजपूतो की कम जनसँख्या के बावजूद राजपूत अपने जुझारूपन से राजनीति में स्थान बनाए रहे,
यहाँ राजपूत जाट बाहुल्य कांधला बुढ़ाना बघरा सीटो से विधायक भी बने और थानाभवन विधानसभा सीट पर वर्चस्व बनाए रखा,
लोकसभा में भी बेहद कम वोट के बावजूद दोनों सीटो पर राजपूतो ने अपने दम पर जीत हासिल की।।
अब पुन यहाँ के राजपूतो को एकजुट होकर राजनीति में अपना स्थान बनाए रखने के प्रयास बेहद आवश्यक है
सर्वश्रद्धेय ठाकुर विजयपाल सिंह कच्छवाह,ठाकुर यशपाल सिंह ,ठाकुर रामचन्द्र सिंह पुण्डीर, ठाकुर नकली सिंह पुण्डीर, ठाकुर मूलचन्द जी को शत शत नमन
respect to such great ppl
ReplyDeleteThanks हुकुम
ReplyDeleteमैं स्व.ठाकुर विजयपाल सिंह कछवाहा का छोटा पौत्र हूँ।
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