क्या सहारनपुर के राजपूत समाज के साथ धोखा होगा??--------
मित्रों सहारनपुर की देवबन्द विधानसभा पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों का सबसे बड़ा गढ़ रहा है, अधिकतर राजपूत ही यहाँ से विधायक रहे हैं और स्वर्गीय ठाकुर फूलसिंह जी और स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह राणा यहाँ से जीतकर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
परिसीमन में इस सीट के 20 हजार राजपूत वोट समीप की गुर्जर बाहुल्य गंगोह सीट में जुड़ गए, जिससे देवबन्द में अब राजपूत वोट घटकर 40 हजार रह गए हैं और गंगोह में राजपूत वोट 25 हजार हो गए हैं।।
देवबन्द सीट पर त्यागी वोट 18 हजार, गुर्जर वोट 22 हजार और जाट वोट 5 हजार हैं जबकि 90 हजार मुस्लिम और 60 हजार दलित भी हैं
पिछली बार देवबन्द सीट पर समाजवादी पार्टी के स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह राणा जी जीतकर मंत्री बने थे, इस बार अभी तक उनकी पत्नी श्रीमती मीना राणा को सपा ने टिकट दिया था, पर उपचुनाव में इमरान मसूद के प्रत्याशी माविया अली मामूली अंतर से जीत गए थे क्योंकि राजपूत वोट बीजेपी और सपा के उम्मीदवारों के बीच बंट गए थे और वोटिंग प्रतिशत भी हिन्दू गाँवो में कम हुआ था।।
अब इस सीट पर राजपूतो के विरुद्ध बीजेपी और सपा दोनों में साजिश होने के समाचार मिल रहे हैं
सुना है इमरान मसूद का विधायक माविया अली लखनऊ में अखिलेश यादव गुट के सम्पर्क में है और समाजवादी पार्टी से टिकट मिलने का उसे आश्वासन भी मिल गया है!!!!
बसपा ने भी इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार माजिद को टिकट दिया है ,और कांग्रेस अलग लडी तो वो भी किसी मुस्लिम को ही टिकट देगी,
ऐसे में उपचुनाव की तरह ही बीजेपी किसी राजपूत उम्मीदवार को टिकट देती है तो वो आसानी से सीट निकाल लेगा!!!!
लेकिन इस हालात में बीजेपी में राजपूत विरोधी सक्रिय हो गए हैं और सपा कांग्रेस बसपा तीनो के मुस्लिम उम्मीदवार होने के कारण राजपूतो की लाचारगी का फायदा उठाने के लिए अब देवबन्द सीट से गैर राजपूत को बीजेपी टिकट देने के मूड में है और मात्र 18 हजार वोट वाला त्यागी समाज व् 4 हजार वोट वाले सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल शर्मा के भाई राहुल भी मौके का लाभ उठाने के चक्कर में हैं
यही नही बसपा सरकार 2007-2012 में पुलिस के दम पर राजपूतो का उत्पीड़न करने वाला घोर राजपूत विरोधी पूर्व बसपा विधायक मनोज चौधरी गुज्जर भी अब बीजेपी में शामिल होकर उन्ही राजपूतो के वोट का ख्वाब देख रहा है जिनका उसने बसपा सरकार में दमन करने का प्रयास किया था!!!!!
इस गुज्जर नेता की वर्ष 2009 में किसी गांव में राजपूत विरोधी टिप्पणी के कारण राजपूतो ने जमकर धुनाई भी कर दी थी,
ऐसा घोर राजपूत विरोधी नेता भी राजपूतो की हिंदूवादी सोच का लाभ उठाकर राजपूत बाहुल्य देवबन्द विधानसभा सीट से विधायक बनने का ख्वाब देख रहा है!!!!!!!!
बराबर की गंगोह विधानसभा से भी बीजेपी गुज्जर उम्मीदवार प्रदीप चौधरी को टिकट दे रही है,
और राजपूतो को मुर्ख बनाने के लिए देवबन्द की बजाय एक ऐसी सीट सहारनपुर देहात से टिकट दिया जा रहा है जहाँ मोदी लहर में भी कुछ दलित वोट भी पाने के बावजूद बीजेपी 2014 में पिछड़ गयी थी!!!!!
उस सीट पर कोई भी बीजेपी उम्मीदवार चुनाव नही जीत सकता,
पर राजपूतो को मुर्ख बनाने के लिए देवबन्द की बजाय सहारनपुर देहात जैसी बेहद कमजोर सीट से टिकट दिया जा सकता है!!!!!!!
क्या सहारनपुर का राजपूत समाज अपने साथ होने वाले इस धोखे को चुप रहकर बर्दाश्त करे या कोई अलग रणनीति पर विचार करे????
मित्रों सहारनपुर की देवबन्द विधानसभा पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों का सबसे बड़ा गढ़ रहा है, अधिकतर राजपूत ही यहाँ से विधायक रहे हैं और स्वर्गीय ठाकुर फूलसिंह जी और स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह राणा यहाँ से जीतकर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
परिसीमन में इस सीट के 20 हजार राजपूत वोट समीप की गुर्जर बाहुल्य गंगोह सीट में जुड़ गए, जिससे देवबन्द में अब राजपूत वोट घटकर 40 हजार रह गए हैं और गंगोह में राजपूत वोट 25 हजार हो गए हैं।।
देवबन्द सीट पर त्यागी वोट 18 हजार, गुर्जर वोट 22 हजार और जाट वोट 5 हजार हैं जबकि 90 हजार मुस्लिम और 60 हजार दलित भी हैं
पिछली बार देवबन्द सीट पर समाजवादी पार्टी के स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह राणा जी जीतकर मंत्री बने थे, इस बार अभी तक उनकी पत्नी श्रीमती मीना राणा को सपा ने टिकट दिया था, पर उपचुनाव में इमरान मसूद के प्रत्याशी माविया अली मामूली अंतर से जीत गए थे क्योंकि राजपूत वोट बीजेपी और सपा के उम्मीदवारों के बीच बंट गए थे और वोटिंग प्रतिशत भी हिन्दू गाँवो में कम हुआ था।।
अब इस सीट पर राजपूतो के विरुद्ध बीजेपी और सपा दोनों में साजिश होने के समाचार मिल रहे हैं
सुना है इमरान मसूद का विधायक माविया अली लखनऊ में अखिलेश यादव गुट के सम्पर्क में है और समाजवादी पार्टी से टिकट मिलने का उसे आश्वासन भी मिल गया है!!!!
बसपा ने भी इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार माजिद को टिकट दिया है ,और कांग्रेस अलग लडी तो वो भी किसी मुस्लिम को ही टिकट देगी,
ऐसे में उपचुनाव की तरह ही बीजेपी किसी राजपूत उम्मीदवार को टिकट देती है तो वो आसानी से सीट निकाल लेगा!!!!
लेकिन इस हालात में बीजेपी में राजपूत विरोधी सक्रिय हो गए हैं और सपा कांग्रेस बसपा तीनो के मुस्लिम उम्मीदवार होने के कारण राजपूतो की लाचारगी का फायदा उठाने के लिए अब देवबन्द सीट से गैर राजपूत को बीजेपी टिकट देने के मूड में है और मात्र 18 हजार वोट वाला त्यागी समाज व् 4 हजार वोट वाले सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल शर्मा के भाई राहुल भी मौके का लाभ उठाने के चक्कर में हैं
यही नही बसपा सरकार 2007-2012 में पुलिस के दम पर राजपूतो का उत्पीड़न करने वाला घोर राजपूत विरोधी पूर्व बसपा विधायक मनोज चौधरी गुज्जर भी अब बीजेपी में शामिल होकर उन्ही राजपूतो के वोट का ख्वाब देख रहा है जिनका उसने बसपा सरकार में दमन करने का प्रयास किया था!!!!!
इस गुज्जर नेता की वर्ष 2009 में किसी गांव में राजपूत विरोधी टिप्पणी के कारण राजपूतो ने जमकर धुनाई भी कर दी थी,
ऐसा घोर राजपूत विरोधी नेता भी राजपूतो की हिंदूवादी सोच का लाभ उठाकर राजपूत बाहुल्य देवबन्द विधानसभा सीट से विधायक बनने का ख्वाब देख रहा है!!!!!!!!
बराबर की गंगोह विधानसभा से भी बीजेपी गुज्जर उम्मीदवार प्रदीप चौधरी को टिकट दे रही है,
और राजपूतो को मुर्ख बनाने के लिए देवबन्द की बजाय एक ऐसी सीट सहारनपुर देहात से टिकट दिया जा रहा है जहाँ मोदी लहर में भी कुछ दलित वोट भी पाने के बावजूद बीजेपी 2014 में पिछड़ गयी थी!!!!!
उस सीट पर कोई भी बीजेपी उम्मीदवार चुनाव नही जीत सकता,
पर राजपूतो को मुर्ख बनाने के लिए देवबन्द की बजाय सहारनपुर देहात जैसी बेहद कमजोर सीट से टिकट दिया जा सकता है!!!!!!!
क्या सहारनपुर का राजपूत समाज अपने साथ होने वाले इस धोखे को चुप रहकर बर्दाश्त करे या कोई अलग रणनीति पर विचार करे????
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