स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह राणा जी (पूर्व मंत्री) की प्रथम पुण्यतिथि पर शत शत नमन---------
उनकी पार्टी की नीतियों का घोर आलोचक होने के बावजूद यह स्वीकार करना उचित होगा कि स्वर्गीय राणा जी जैसा दमदार व्यक्तित्व राजपूतों में देवबन्द, गंगोह विधानसभा में कोई दूसरा है ही नही।
गत वर्ष इनके असमय निधन से राजपूतों की राजनीति को गहरा आघात पहुंचा है जिसकी भरपाई सम्भव नही है,
वेस्ट यूपी में राजपूतों के सबसे समृद्ध गांव भायला में जन्मे इलाहबाद यूनिवर्सिटी से शिक्षित स्वर्गीय राणा जी बसपा टिकट पर देवबन्द से पहली बार सन् 2001 में विधायक बने,पर बीजेपी बसपा की मिली जुली सरकार में मायावती के जुल्मो और अटल आडवाणी द्वारा धृतराष्ट्र की भूमिका से यूपी में राजपूत समाज कराह उठा और राजा भैया समेत सभी राजपूत नेताओं ने सपा को समर्थन का निर्णय लिया।
और इसी कड़ी में 2003 में बसपा के 40 विधायको को तोड़कर मुलायम सिंह की सरकार बनवाकर इन्ही स्वर्गीय राजेन्द्र राणा ने मायावती के जुल्मो से उत्तर प्रदेश को मुक्ति दिलाई थी, हालाँकि 40 विधायको का नेता होने के बावजूद सपा सरकार में इन्हें मात्र राज्यमंत्री बनाया गया जो इनके योगदान और प्रतिभा को देखते हुए कम था।
यही नही सहारनपुर से 2 राजपूत मंत्रियों जगदीश राणा और स्वर्गीय राजेन्द्र राणा के बावजूद जिले में 4 साल इमरान मसूद की जमकर चली,क्योंकि मुस्लिम मतो की वजह से उसे सपा हाईकमान की शह थी।
2014 में इन्होंने अपने दम पर देवबन्द सीट से विधायक का चुनाव जीता जबकि सहारनपुर जिले में बाकि सभी सपा उम्मीदवार हार गए थे।
2014 में आपको राज्यमंत्री स्वतन्त्र प्रभार बनाया गया,और ये सहारनपुर जिले में एकमात्र सपा विधायक थे,
बाकि सभी हवाई नेता थे,ऐसा लग रहा था कि अगले 5 साल सहारनपुर जिले में स्वर्गीय मंत्री जी की एकछत्र सत्ता चलेगी,
मगर यहाँ उल्टा हुआ,
सपा हाईकमान के विभिन्न गुटों ने जिले में अलग अलग रीढ़विहीन नेताओं को शह देनी शुरू कर दी,
जो एक सीट नही जिता सकते ऐसे हवाई नेताओं ने अपने अपने आकाओ के दम पर सहारनपुर में सपा को हाइजैक कर लिया।
सरफराज खान,अभय चौधरी, उमर अली,राजसिंह माजरा,साहब सिंह सैनी, चन्द्रशेखर यादव और दर्जनों छुटभैये जनाधारविहीन नेता सपा सरकार में सहारनपुर जिले में प्रशासन पर छाए रहे।
विवश होकर स्वर्गीय राणा जी ने खुद को देवबन्द विधानसभा तक सिमित कर लिया,रही सही कसर सहारनपुर जिले में नियुक्त हुए ताकतवर नोकरशाहो ने पूरी कर दी,
अक्सर अहीर जाति से सम्बंधित या अन्य प्रशासनिक अधिकारी जिंनकी शासन व् सपा हाईकमान में गहरी पैठ थी, उन्होंने भी स्वर्गीय राणा जी की अनदेखी की और इन्हें पर्याप्त सम्मान नही दिया गया,जिसके ये हकदार थे,
सपा के छुटभैये नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के कारण राणा जी की संस्तुतिओ से राजपूतों के काम कम होने से राजपूत समाज में भी एक वर्ग में राणा जी के प्रति नाराजगी उतपन्न हुई और इसका दुष्परिणाम उपचुनाव में भी देखने को मिला।
जिस इमरान मसूद ने सहारनपुर में 42% मुस्लिम वोटबैंक के दम पर 2003 से 2007 के बिच मुलायम सरकार में सहारनपुर के एक और राजपूत मंत्री जगदीश राणा जी को जमकर अपमानित किया था,और उसके हल्ला बोल के सामने तत्कालीन वरिष्ठ मंत्री जगदीश राणा जी भी बैकफुट पर रहे,
वो इमरान मसूद भी सीधे स्वर्गीय राजेन्द्र राणा जी से टक्कर लेने से बचता था, इमरान मसूद को सपा से 2014 लोकसभा चुनाव में टिकट मिला था और उनकी जीत पक्की थी,पर उसने स्वर्गीय राणा जी से विवाद कर लिया और राणा जी ने उसका टिकट कटवा कर तगड़ा झटका दे दिया था।
इसी बीच राणा जी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हो गए और पर्याप्त कोशिस और उपचार के बावजूद आपका दिनांक 27-10-2016 को स्वर्गवास हो गया।।
आपकी विरासत को उनके पुत्र कार्तिकेय राणा सम्भाल रहे हैं,राणा जी की मृत्यु के बाद इनकी पुत्री प्रियम्वदा का विवाह गोंडा निवासी आईपीएस अधिकारी से गत वर्ष ही सम्पन्न हुआ है।
इनकी धर्मपत्नी श्रीमती मीना राणा जी उपचुनाव में बेहद मामूली अंतर से हार गयी थी,जिसका सबको अफ़सोस है,
इस बार फिर से इन्हें सपा से टिकट मिला है।
पिछले 5 वर्ष में सहारनपुर से सत्ताधारी दल के एकमात्र विधायक और ताकतवर मंत्री होते हुए भी स्वर्गीय राणा जी और राजपूत समाज की जिले में शासन प्रशासन में वो धमक सुनाई नही दी, जिसके वो हकदार थे,
लेकिन यह मानने में कोई हर्ज नही कि इनके जैसा दमदार राजपूत व्यक्तित्व देवबन्द गंगोह विधानसभाओ में कोई दूसरा नही है।।
स्वर्गीय राणा जी को शत शत नमन।
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