कथित रजवाड़ों की चकाचौंध में मंत्रमुग्ध राजपूत समाज------
मैं पहले से कह रहा हूँ कि ये कथित राजा महाराजा खुद को राजपूत नही समझते,बल्कि सिर्फ राजा के पूत ही समझते हैं😢😢
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में इन कथित रजवाड़ों में भारतीय पाश्चात्य सभ्यता के घालमेल से भोगविलास की कुछ नई परम्पराएं और रीति रिवाज शुरू हुए,इस रँगीली तड़क भड़क ,वेशभूषा को ही कुछ बन्धु आज rajputana culture मानते हैं,जो कुछ संभ्रांत राजपूत रजवाड़ों और उनके दरबारी चमचो में ही प्रचलित है,
जबकि आम राजपूत की संस्कृति ,वेशभूषा बोलचाल इससे बिलकुल अलग है,पर उसे राजपुताना कल्चर नही माना जाता।
कुछेक अपवाद छोड़ दें तो इन रजवाड़ों ने कभी आम राजपूत की सुध नही ली लेकिन जब भी इनपर आंच आई तो गरीब राजपूत इनके मान सम्मान के लिए डटकर लड़ता आया है।
कुछ भाइयों को मेरी रजवाड़ा विरोधी बातें बहुत चुभती है,वो इन रजवाड़ों की गाड़ियों,वेशभूषा,हाथी घोड़ों महलों की फोटो सोशल मिडिया पर डालकर खुश हो लेते हैं उनकी समृद्धि को राजपूत समाज की समृद्धि मान लिया जाता है,जबकि इन्हें राजपूतो के मानसम्मान ,मान मर्यादा,क्षत्रिय संस्कृति,क्षत्रिय हितों की कोई फ़िक्र ही नही है,
इनकी आलोचना करने से कुछ भाई ब्लॉक करके भाग गए,पर इससे सच्चाई को झुठलाना सम्भव नही है,
ये एक और ताजा उदाहरण है,
जम्मू कश्मीर के महाराजा कर्णसिंह की पौत्री का विवाह पटियाला के जट्ट सिक्ख महाराजा अमरिंदर सिंह के नवासे सन्धु जाट से तय हुआ है,
कुछ दिन पहले ही हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सींग ने भी अपनी बेटी का ब्याह पटियाला के अमरिंदर जाट के परिवार में कर दिया,
रजवाडो की चकाचोंध में अंधे कुछ मूर्खों ने तर्क दिया कि पटियाला राजपरिवार भाटी राजपूतो की औलाद है इसलिए उनसे ब्याह जायज है,
अरे मूर्खो ये अमरिंदर सिंह जाट महासभा का राष्ट्रिय अध्यक्ष है और संसद में इसने खुलेआम जनरल वी के सिंह का विरोध और अपने स्वजातीय जनरल दलबीर सुहाग का समर्थन किया था!!
फिर तो बहुत सी छोटी जातियां भी राजपूतो से निकली है,
क्या सबमे ब्याह शुरू करवा दें??
भरतपुर धौलपुर पटियाला नाभा जींद फरीदकोट कुचेसर ऊंचागांव साहनपुर जैसी कुछ जाट जट्ट सिक्ख रियासते हैं जो आपस में ब्याह करते हैं
कपूरथला के अहलूवालिया कलाल परिवार और सिंधिया गायकवाड़ होल्कर वोडेयार आदि में भी इनकी रिश्तेदारियां होती है,
क्योंकि ये जातियां वर्ण रक्त की शुद्धता में विश्वास नही करती,
पर राजपूत समुदाय जिसने हजारो वर्षों में करोड़ो परिवारों को वर्णसंकरता फैलाने और अशुद्ध हों जाने से अपने से दूर कर दिया ,उसका संभ्रांत वर्ग आज क्यों मतिभृष्ट होकर गैर समाज में बेटी ब्यवहार कर रहा है???
हाल ही में क्षत्रिय समाज के कुछ बेशर्म लोगों के सहयोग से यूपी के अहीर राजपरिवार (मुलायम) में भी तीन बहुए राजपूत परिवारो से आ गयी!!!
और वो बेशर्म इसे अहीर राजपरिवार की महानता बता रहा है,
जबकि सच्चाई यह है कि राजपूतों को अपमानित करने,उन्हें अपना गुलाम बनाने और उनका मनोबल आत्मसम्मान चूर चूर करने के लिए मुगलो की निति पर चलकर ये रिश्ते किये गए है।
भरतपुर के जाट परिवार में कई बहुए राजपूत राजपरिवार/जागीरदार परिवारो से आई हैं पर उन्होंने एक भी बेटी किसी भी राजपूत राजपरिवार को नही दी है चाहो तो चेक कर लो!!!
इसका मतलब तो समझते हो न???