आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में राजपूतों का वोट किस ओर जाएगा??
न्यूज़ चैनल पर जो सर्वे दिखा रहे हैं उनमे 55% से 60% राजपूत वोट बीजेपी को दिखाया जा रहा है जबकि 90% से ज्यादा राजपूत वोट बीजेपी को जा रहा है,
लेकिन यह एकतरफा समर्थन तभी होगा जब योगी आदित्यनाथ अथवा राजनाथ सिंह को सीएम उम्मीदवार बनाया जाए,इनके अतिरिक्त बीजेपी ने किसी और को सीएम उम्मीदवार बनाया गया तो इस समर्थन में भारी गिरावट होगी और सपा को लाभ मिलेगा,
यूपी में 9% शुद्ध राजपूत वोट हैं,जो 12% के बराबर असर रखते हैं,इनके अलावा राजपूत समाज की दर्जनों उपजातियां हैं जो ओबीसी में आती हैं पर अपने अपने इलाकों में राजपूत उम्मीदवारों को ही वोट करती हैं इनकी कुल आबादी भी लगभग 5% से 7% हैं,
इनके अलावा यूपी में मुस्लिमो में भी बड़ी संख्या राजपूतों की हैं जो बीजेपी के अलावा किसी दल से राजपूत उम्मीदवार खड़ा हो तो उसका पुरजोर समर्थन करते हैं
इनकी कुल आबादी भी यूपी में करीब 3% से 5% के बीच है।
इस प्रकार उत्तर प्रदेश राजपूत बाहुल्य प्रदेश है यहाँ 20% से 25% तक राजपूतों का असर है जो एकजुट हो जाए तो किसी भी दल को हरा या जिता सकते हैं,
यूपी के कुल 403 विधायकों में इस समय 55 विधायक राजपूत हैं जो पहले की तुलना में कम है,जब वीपी सिंह अस्सी के दशक में सीएम बने थे तो राजपूत विधायको की संख्या ऐतिहासिक रूप से 112 तक पहुंच गयी थी।।बिच में भी 70 से 80 विधायक लगातार बनते आए हैं।।
यूपी में कुल 80 सांसदों में इस समय 14 सांसद राजपूत हैं,कल्याण सिंह जब सीएम थे तो 20 सांसद यूपी से राजपूत चुने गए थे।।
इस समय यूपी की सपा सरकार में 10 मंत्री राजपूत हैं जबकि राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में 22 मंत्री राजपूत थे,मुलायम सिंह की 2003-2007 सरकार में भी 19 मंत्री (अधिकांश महत्वहीन विभाग) राजपूत बने थे..
यूपी विधानपरिषद में भी राजपूतों का बोलबाला रहा है,स्थानीय निकाय की 36 सीटों के चुनाव में इस बार 12 राजपूत विजयी हुए हैं जबकि जब राजनाथ सिंह यूपी बीजेपी के अध्यक्ष थे और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे तो इन 36 में से 29 टिकट राजपूतों को दिए गए थे जिनमे 27 चुनाव जीत गए थे,(सहारनपुर-मुजफ्फरनगर सीट से ठाकुर जगत सिंह हारने वालो में शामिल थे),
इनके अलावा शिक्षक/स्नातक कोटे की विधानपरिषद सीटों में भी राजपूतो का बोलबाला रहा है।
जिला पंचायतों में भी आरक्षण के बावजूद यूपी में राजपूतों की दमदार उपस्थिति है,हाल ही में हुए पंचायत चुनावो में 75 जिला पंचायतो में से 12 जिला प्रमुख(चैयरमैन) राजपूत चुने गए हैं।।
इतनी जबरदस्त ताकत होते हुए भी यूपी में राजपूत समाज उपेक्षा का शिकार है,यहाँ पिछले 70 सालों में 04 मुख्यमंत्री राजपूत बने,पर चारो मिलकर 07 वर्ष भी राज नही कर पाए,
सर्वोच्च सत्ता के आभाव में यहाँ का राजपूत बुरी तरह से शिक्षा/प्रशाशनिक सेवाओं/सरकारी नोकरियो में बुरी तरह पिछड़ गया है,पिछले 15 वर्ष में हालत बदतर हो गयी है राजपूत अपनी आबादी के अनुसार भी सरकारी पदों पर भर्ती नही हो पा रहे हैं क्योंकि सपा सरकार में अहिरो और बसपा सरकार में दलितों का ही बोलबाला रहता है,
राजपूत कुल आबादी में 20% प्रभाव होने के बावजूद एकजुटता और सर्वोच्च सत्ता(मुख्यमंत्री) के आभाव में 9% अहीरों और 13% जाटवों की गुलामी करने को मजबूर हैं।
सपा-बसपा जैसे दल राजपूतो को मजबूरी में सांसद/विधायकी टिकट और मंत्री पद तो देते हैं पर सत्ता में हिस्सेदारी/नोकरिया नही देते,इन दलों की सरकारो में राजपूत विधायक सांसद मंत्री होते हुए भी राजपूतों का जमकर उत्पीड़न होता है और उत्पीड़न करने वाला अहीर दलित या मुस्लिम हो तो ये राजपूत सूबेदार पीड़ित राजपूतो की शिकायत सुनने से भी घबराते हैं कि कहीं उनकी सूबेदारी न छिन जाए।
मुगल काल में कुछ राजपूत सूबेदार/सामन्त की स्थिति में थे इसी प्रकार कुछ राजपूतो को सूबेदारी देकर सपा बसपा के अहीर और दलित राजपूत समाज को बिना कोई लाभ दिए अपना गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं।।
इतिहास में सूबेदारों/सामन्तों को कभी सम्मान न तो मिला है न ही कभी मिलेगा,भले ही उनमे कुछ उपयोगी रहे हों,
राजपूतों को यूपी में अपना पुनरुद्धार करना है तो सर्वोच्च सत्ता (राजपूत मुख्यमंत्री) की बेहद आवश्यकता है,
और यह उम्मीद सिर्फ बीजेपी से ही पूरी हो सकती है इसीलिए राजपूत समाज बीजेपी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।।
बस अब बहुत गया,
बन्द करो सपा-बसपा की सूबेदारी,
योगी जी के नेतृत्व में क्षत्रिय राज की बारी।
बन्द करो अहीरों-दलितों की ताबेदारी,
क्षत्रियों के नेतृत्व में हिन्दू राज की बारी।।
जय भवानी।।
न्यूज़ चैनल पर जो सर्वे दिखा रहे हैं उनमे 55% से 60% राजपूत वोट बीजेपी को दिखाया जा रहा है जबकि 90% से ज्यादा राजपूत वोट बीजेपी को जा रहा है,
लेकिन यह एकतरफा समर्थन तभी होगा जब योगी आदित्यनाथ अथवा राजनाथ सिंह को सीएम उम्मीदवार बनाया जाए,इनके अतिरिक्त बीजेपी ने किसी और को सीएम उम्मीदवार बनाया गया तो इस समर्थन में भारी गिरावट होगी और सपा को लाभ मिलेगा,
यूपी में 9% शुद्ध राजपूत वोट हैं,जो 12% के बराबर असर रखते हैं,इनके अलावा राजपूत समाज की दर्जनों उपजातियां हैं जो ओबीसी में आती हैं पर अपने अपने इलाकों में राजपूत उम्मीदवारों को ही वोट करती हैं इनकी कुल आबादी भी लगभग 5% से 7% हैं,
इनके अलावा यूपी में मुस्लिमो में भी बड़ी संख्या राजपूतों की हैं जो बीजेपी के अलावा किसी दल से राजपूत उम्मीदवार खड़ा हो तो उसका पुरजोर समर्थन करते हैं
इनकी कुल आबादी भी यूपी में करीब 3% से 5% के बीच है।
इस प्रकार उत्तर प्रदेश राजपूत बाहुल्य प्रदेश है यहाँ 20% से 25% तक राजपूतों का असर है जो एकजुट हो जाए तो किसी भी दल को हरा या जिता सकते हैं,
यूपी के कुल 403 विधायकों में इस समय 55 विधायक राजपूत हैं जो पहले की तुलना में कम है,जब वीपी सिंह अस्सी के दशक में सीएम बने थे तो राजपूत विधायको की संख्या ऐतिहासिक रूप से 112 तक पहुंच गयी थी।।बिच में भी 70 से 80 विधायक लगातार बनते आए हैं।।
यूपी में कुल 80 सांसदों में इस समय 14 सांसद राजपूत हैं,कल्याण सिंह जब सीएम थे तो 20 सांसद यूपी से राजपूत चुने गए थे।।
इस समय यूपी की सपा सरकार में 10 मंत्री राजपूत हैं जबकि राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में 22 मंत्री राजपूत थे,मुलायम सिंह की 2003-2007 सरकार में भी 19 मंत्री (अधिकांश महत्वहीन विभाग) राजपूत बने थे..
यूपी विधानपरिषद में भी राजपूतों का बोलबाला रहा है,स्थानीय निकाय की 36 सीटों के चुनाव में इस बार 12 राजपूत विजयी हुए हैं जबकि जब राजनाथ सिंह यूपी बीजेपी के अध्यक्ष थे और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे तो इन 36 में से 29 टिकट राजपूतों को दिए गए थे जिनमे 27 चुनाव जीत गए थे,(सहारनपुर-मुजफ्फरनगर सीट से ठाकुर जगत सिंह हारने वालो में शामिल थे),
इनके अलावा शिक्षक/स्नातक कोटे की विधानपरिषद सीटों में भी राजपूतो का बोलबाला रहा है।
जिला पंचायतों में भी आरक्षण के बावजूद यूपी में राजपूतों की दमदार उपस्थिति है,हाल ही में हुए पंचायत चुनावो में 75 जिला पंचायतो में से 12 जिला प्रमुख(चैयरमैन) राजपूत चुने गए हैं।।
इतनी जबरदस्त ताकत होते हुए भी यूपी में राजपूत समाज उपेक्षा का शिकार है,यहाँ पिछले 70 सालों में 04 मुख्यमंत्री राजपूत बने,पर चारो मिलकर 07 वर्ष भी राज नही कर पाए,
सर्वोच्च सत्ता के आभाव में यहाँ का राजपूत बुरी तरह से शिक्षा/प्रशाशनिक सेवाओं/सरकारी नोकरियो में बुरी तरह पिछड़ गया है,पिछले 15 वर्ष में हालत बदतर हो गयी है राजपूत अपनी आबादी के अनुसार भी सरकारी पदों पर भर्ती नही हो पा रहे हैं क्योंकि सपा सरकार में अहिरो और बसपा सरकार में दलितों का ही बोलबाला रहता है,
राजपूत कुल आबादी में 20% प्रभाव होने के बावजूद एकजुटता और सर्वोच्च सत्ता(मुख्यमंत्री) के आभाव में 9% अहीरों और 13% जाटवों की गुलामी करने को मजबूर हैं।
सपा-बसपा जैसे दल राजपूतो को मजबूरी में सांसद/विधायकी टिकट और मंत्री पद तो देते हैं पर सत्ता में हिस्सेदारी/नोकरिया नही देते,इन दलों की सरकारो में राजपूत विधायक सांसद मंत्री होते हुए भी राजपूतों का जमकर उत्पीड़न होता है और उत्पीड़न करने वाला अहीर दलित या मुस्लिम हो तो ये राजपूत सूबेदार पीड़ित राजपूतो की शिकायत सुनने से भी घबराते हैं कि कहीं उनकी सूबेदारी न छिन जाए।
मुगल काल में कुछ राजपूत सूबेदार/सामन्त की स्थिति में थे इसी प्रकार कुछ राजपूतो को सूबेदारी देकर सपा बसपा के अहीर और दलित राजपूत समाज को बिना कोई लाभ दिए अपना गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं।।
इतिहास में सूबेदारों/सामन्तों को कभी सम्मान न तो मिला है न ही कभी मिलेगा,भले ही उनमे कुछ उपयोगी रहे हों,
राजपूतों को यूपी में अपना पुनरुद्धार करना है तो सर्वोच्च सत्ता (राजपूत मुख्यमंत्री) की बेहद आवश्यकता है,
और यह उम्मीद सिर्फ बीजेपी से ही पूरी हो सकती है इसीलिए राजपूत समाज बीजेपी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।।
बस अब बहुत गया,
बन्द करो सपा-बसपा की सूबेदारी,
योगी जी के नेतृत्व में क्षत्रिय राज की बारी।
बन्द करो अहीरों-दलितों की ताबेदारी,
क्षत्रियों के नेतृत्व में हिन्दू राज की बारी।।
जय भवानी।।
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